आयो चौमासो
लय - खड़ी नीम के नीचे
रचयिता - मुनिश्री महेन्द्रकुमारजी प्रथम'
आयो चौमासो आत्म - सदन उजवालल्यो ।
करण तपस्या अपने - अपने पौरस ने सम्भालल्यो ||
आत्म - स्वर्ण नै जब जब तप अगनी से योग मिलेला ।
तब - तब मैल दूर होकर के अद्भुत कान्ति खिलेला ।
कर हिम्मत कस कमर शक्ति अजमायल्यो ॥
आत्मा पर हावी तन जब तक नहीं तपस्या से लेखो ।
आत्मा हावी तन पर होता ही तो चमत्कार देखो |
पाल्यै - पोस्यै तन रो सार निकालल्यो ॥
शालिभद्र कोमल काया स्यूं तप रो गढ्यो इतिहास नयो ।
काकन्दी से धन्नो श्रमण संघ में बाजी मार गयो ।
बांरो कर अनुकरण तपस्या झालल्यो ॥
December 30,2022 / 11:09 PM
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