अजितप्रभु स्तवन
लय : अहो प्रिय तुम वाट पाड़ी
रचयिता : श्री मज्जयाचार्य
अहो प्रभु ! तुम ही दायक शिव-पन्थ नां
1. अहो प्रभु ! अजित जिनेश्वर आपरो, ध्याऊं ध्यान हमेशा हो।
अहो प्रभु ! अशरण शरण तूं ही सही, मेटण सकल कलेश हो ।।
2. अहो प्रभु ! उपशम रस भरि आपरी, वाणी सरस विशाल हो ।
अहो प्रभु ! मुगति-निसरणी मनोहरू, सुण्यां मिटै भ्रम जाल हो ।।
3. अहो प्रभु ! उभय बंधण आप आखिया, राग-द्वेष विकराल हो ।
अहो प्रभु ! हेतू ए नरक निगोद नां, राच्या मूरख बाल हो ।।
4. अहो प्रभु ! रमणी राखसणी कही, विषबेली मोहजाल हो ।
अहो प्रभु ! काम-भोग किम्पाक-सा दाख्या दीन-दयाल हो ।।
5. अहो प्रभु ! विविध उपदेश देई करी, तें तार्या नरनार हो ।
अहो प्रभु ! भवसिन्धु-पोत तूं ही सही, तूं ही जगत्-आधार हो ।।
6. अहो प्रभु शरण आयो तुझ साहिबा ! बस रह्या हीया मांय हो ।
अहो प्रभु ! आगम-वयण अङ्गीकारी, रह्यो ध्यान तुझ ध्याय हो ।।
7. अहो प्रभु ! संवत उगणीसै भाद्रवै, दसमी आदितवार हो ।
अहो प्रभु ! आप तणां गुण गाविया, वर्त्या जै जै कार हो ।।
October 01,2022 / 5:39 PM
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