देवो देवो जी डगर
लय : आए आए जी बदरवा
रचियता : आचार्य श्री तुलसी
देवो देवो जी डगर वर, सिद्धि नगर चढ़ ज्यावूं ।
थांरो पलक-पलक, मैं अपलक ध्यान लगावूं ।।
1. किण मारग स्यूं श्रीजिनवरजी ! अपणै धाम सिधावो ?
समदर्शी सर्वज्ञ परम-प्रभु परमातम पद पावो ।
दरसावो, मैं भी तिण पथ निजर टिकाऊं ।।
2. अक्षय अरुज अनंत अचल अज अव्याबाध कहावो,
क्यूं कर सहजानंद-समन्दर में विलीन हो ज्यावो ?
बतलावो, मैं भी बो ही क्रम अपणावूं ।।
3. निकट अनंत अलोक पड्यो, क्यूं लोकांते थिति ठावो ?
पैंतालीस लाख जोजन में, सारा किंयां समावो ?
समझावो, मैं स्वयमेव समझणो चावूं ।।
4. एकर भी क्षण-भर भी साहिब ! साक्षात्कार करावो,
तो मन चाह्या फळे मनोरथ, लाग्यो हृदय उम्हावो ।
उमगावो, पर नहिं मन घबराट मचाऊं ।।
5. अनुपमेय अज्ञेय सच्चिदानन्द दया दिखलावो,
साद्यनंत भगवंत हंत ! भगतां नै क्यूं तरसावो ?
सरसावो, 'तुलसी' सिद्ध स्तवन सुणाऊं ।।
October 01,2022 / 1:35 PM
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