October 01,2022 || 2:24 PM || 377 /

Dharmachaaraj ! Mujhe Taaro धरमाचारज ! मुझे तारो (Jain Bhajan)

 

धरमाचारज ! मुझे तारो

लय : पानी में मीन पियासी 
रचयिता : आचार्य श्री तुलसी

 

धरमाचारज ! मुझ तारो, 
मैं लीन्हो शरण तुम्हारो ।
है और न कोई चारो ।।

 

1. भवसागर है अथग अमित जल, नहिं है निकट किनारो । 
जबर-ज्वार रे झोलां मांही, बीत्यो जाय जमारो ।।

 

2. साश्रव आतम-मनाव पुराणी, पल-पल जल पेसारो ।
डगमग-डगमग डोलै, थां बिन कुण है खेवणहारो ?

 

3. डगर-डगर में मगर भयंकर, पग-पग पर भय बांरो ।
अै तूफान उठै हड़बड़कै, धड़कै दिल दुनियां रो ।।

 

4. आय लगी आ बीच भंवर में, मन-मांझी मतवारो । 
इण बिरियां में इण दरिया में, साहिब ! शरणो थांरो ।।

 

5. प्रतिनिधि आप प्रथम-पद का हो, आर न पार गुणां रो । 
करुण पुकार सुणो सानुग्रह 'तुलसी' पार उतारो ।।

 



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Achaarya Shri Tulsi आचार्य श्री तुलसी

October 01,2022 / 2:24 PM


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