धरती के बन गए देवता
लय : जहाँ डाल डाल पर
रचयिता : साध्वी राजीमतीजी
धरती के बन गए देवता, क्या गुण गरिमा गाएं ।
हम भक्ति थाल सजाएं, श्रद्धा से शीष झुकाएं ।।
1. जो आया महावीर शरण में, उसके संकट कट गए,
पाकर तेरी ज्ञान ज्योति को, भ्रम के बादल फट गए ।
मन के दीप जले लाखों के, जीवन-दर्शन पाएं ।।
2. जनम-जनम से आँख बिछाए, बैठ राह में तेरी,
सुधि के दीप जलाए हमने, मिट जाए भव फेरी l
डगमगती नैया को भगवन् ! अब तो पार लगाएं ।।
3. धन वैभव सत्ता से कोई, ऊँच नीच नहीं होता,
अपने ही कृत कर्मों द्वारा, मानव हंसता रोता ।
संयम के दर्पण में अपना, अंतर रूप सजाएं ।।
4. महावीर ने साफ सुनाया, अपना कौन पराया,
फिर झूठे इन सपनों में, मन को कैसे भरमाया ।
तव मम की दीवार तोड़कर, आगे कदम बढ़ाए ।।
5. मोर बुलाता ज्यों सावन को, धरती चाँद बुलाती,
प्यासी ये हर सांस तुम्हारे, जीवन जीत सुनाती ।
महावीर निर्वाण महोत्सव, आओ आज मनाएं ।।
October 03,2022 / 1:08 AM
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