हमारे भाग्य बड़े बलवान
लय - बना मन मंदिर आलीशान
रचयिता - आचार्यश्री तुलसी
हमारे भाग्य बड़े बलवान, मिला यह तेरापंथ महान
करने जीवन का कल्याण, मिला यह तेरापंथ महान ॥
भिक्षु ने ढूंढ़ निकाला, कैसा अमृतमय प्याला l
आला धार्मिक जग की शान ||
जो व्यापक बनने आया, है वर्गातीत कहाया ।
पाया अपना ऊंचा स्थान ॥
विद्या विकास है जारी, भावुक मुनि सतियां सारी ।
भारी है चरित्र प्रधान ॥
मौलिकता रहे सुरक्षित परिवर्तन सदा अपेक्षित ।
लक्षित निज - पर का उत्थान ||
गुरू - आना जहां बड़ी है, बन पहरेदार खड़ी है।
आज्ञा बिना हिले क्यों पान ॥
भिक्षु स्वामी की कृति यह, भिक्षु स्वामी की धृति यह ।
सारा भिक्षु का सुविधान ॥
जिसका इसमें एकीपन, उसका ही है यह शासन ।
उसका इससे है सम्मान ||
लो जन - जन का अभिनन्दन, गण सदा रहे वन नन्दन ।
'वदना-नन्दन' का आह्वान ॥
भिक्षु - स्मृति दिन है आया, मिला संग अभंग मनाया ।
खिला 'सरदारथहर' सुस्थान ॥
December 07,2022 / 1:18 PM
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