हे दयालो ! देव !
लय : हे प्रभो ! आनन्ददाता
रचियता : आचार्य श्री तुलसी
हे दयालुा ! देव ! तेरी शरण हम सब आ रहे ।
शुद्ध मन से एक तेरा, ध्यान हम सब ध्या रहे ।।
1. मोह मद ममता के त्यागी, वीतरागी, तुम प्रभो ।
हम भी उस पल के पथिक हों, भावना यह भा रहे ।।
2. सद्गुरु में हो हमारी, भक्ति सच्चे भाव से ।
धर्म रग-रग में रमे, उस और हम सब जा रहे ।।
3. दिल से पापों के प्रति, प्रतिपल हमारी हो घृणा ।
प्रेम हो सत्संग से, यह लालसा दिल ला रहे ।।
4. दूसरों की देख बढ़ती, हो न ईर्ष्या लेश भी ।
सर्वदा ग्राहक गुणों के हों, हृदय से गा रहे ।।
5. त्यागमय जीवन बिताएं, शान्तिमय बर्ताव हो ।
भाव हो समभाव, तेरापंथ 'तुलसी' पा रहे ।।
October 01,2022 / 5:19 PM
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