करल्यो करल्यो अठायां
लय - तेजा रे
रचयित्री - साध्वीश्री राजीमतीजी
करल्यो करल्यो अठायां, अब मास खमण थे करल्यो हो ।
तप ही जीवन से साचो सार हो ॥
मन से मेल उतर तन होज्या, सागीडो नीरोग हो ।
साचो गंगाजल तप है आपणे ||
हाड़ - मांस मिट्टी री काया, चमक देख क्यूं चकरावै ।
कोई भरोसो बोलो सांस से ||
बड़ी तपस्या कम खाणो, गम खाणो ओ नम ज्याणो हो ।
मन रै घोड़े ने सीखो मोहणो ||
जागो जागो नींद उड़ावों, शासन मां बतलावे है ।
अवसर र बाया मोती नीपजे ||
जैन - संघ में हुया तपस्वी, एक - एक स्यूं मोटा हो ।
'धनजी खंदक' ने करल्यो याद थे ॥
December 28,2022 / 11:30 PM
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