करो तपस्या मिटे
लय - दिल दिवाना
रचयिता - मुनिश्री संजय
करो तपस्या मिटे समस्या सुनलो रे,
भवजल तरणी, निर्मल करणी, करलो रे,
ऐसा अवसर मिले न फिर, संभलो रे ॥
तन धन यौवन चंचल माया, ज्यों बादल की छाया,
दुनियादारी झूठी यारी, क्यों को भरमाया ।
मन भर मन समझाना, धर्म खजाना, लो रे
तप जप करते यौवन बीते, तो हम धन्य बनेंगे,
तन की मन की ममता छूटे, आवागमन मिटेंगे ।
ज्ञान ध्यान कर, ये भव सागर, तरलो रे
सुख दुःख अपना ही है, मूल बात को समझो,
और सभी निमित मात्र है, शान्ति में न उलझो ।
'संजय' ज्योति, सदगुण मोती, चुनलो रे
December 30,2022 / 11:31 PM
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