लागेे प्राणां स्यूं प्यारो रे
लय - कैसी यह कोमल काया रे
रचयित्री - साध्वीश्री विद्यावतीजी द्वितीय'
लागेे प्राणां स्यूं प्यारो रे
भैक्षव संघ महान
है आंख्यां से उजियारों रे
ओ उजलो भिक्षुशासन, चमके है दशमो आसन
निबलां से सबल सहारो रे ॥
ओ गण हे महासमुंदर, गण ही है प्रभु रो मंदिर
उज्जवल इतिहास निहारो रे ॥
ओ संघ महाविद्यालय, ओ ही है संघ शिवालय
मर्यादा कवच विचारो रे ॥
गणपति तुलसी स पटधर, पंचम आरे तीर्थकर
है अनुपम ज्ञान पिटारो रे ॥
है खिली धर्म फुलवारी, आ हरी भरी गणवाड़ी
गण बड़लो अधिक सुप्यारो रे ॥
जो राखें दिल में आस्था, बो पावै है सुखशास्ता
हो ज्यावे सफल जमारो रे ॥
December 28,2022 / 11:00 PM
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