मंगल वीतराग भावना
लय : चमकै दुनिया में
रचयिता : साध्वी राजीमतीजी
राखो हिरदै में मंगल वीतराग भावना,
अपणो कल्याण करसी अपणी साधना,
मंगल वीतराग भावना ।।
जागै भीतर में शक्ति वर्धमान ज्यूं,
भक्ति हनुमान ज्यूं, विरक्ति भरत महान ज्यूं,
मुक्ति जम्बू प्रधान ज्यूं, मंगल वीतराग भावना ।।
1. ऋषभ अजित संभव अभिनन्दन, सुमति पदम सुखकारी है,
श्री सुपार्श्व चंदाप्रभु सुविधि, शीतल साताकारी है ।
हो प्रभुवर ! मीठी लागै है वाणी, अमृत पान ज्यूं,
मंगल वीतराग भावना ।।
2. श्री श्रेयांस, वासु विमल जिन, श्री अनंत धर्म शरणो,
ॐ शान्ति, कुंथु, अर, मल्ली, मुनिसुव्रत अमृत झरणो ।
हो जिनवर ! दीपै तीर्थंकर सारा केवलज्ञान स्यूं,
मंगल वीतराग भावना ।।
3. नमी नेमि श्री पार्श्वनाथ, महावीर प्रभु है जयकारी,
सीमंधर युगमंधर आदि, विहरमाण है भयहारी ।
हो जिनवर ! मुक्ति पावै है उज्जवल, शुक्ल ध्यान स्यूं,
मंगल वीतराग भावना ।।
4. चत्तारि मंगल अरिहन्ता, सिद्धा साधु मंगल है,
धर्म अहिंसा संयम तप स्यूं, बणै आत्मा निर्मल है ।
हो गुरुवर ! लागै जिनशासन सुन्दर स्वर्ग विमान ज्यूं,
मंगल वीतराग भावना ।।
5. ग्यारह गणधर सोलह सतियां, जैन संघ में नाम कर्यो,
श्री भिक्षु रो बाग अनोखो, नन्दन-वन सो हर्यो भर्यो ।
हो स्वामी ! मंगल महाप्रज्ञ चमकै सूरज चांन ज्यूं,
मंगल वितरण भावना ।।
October 03,2022 / 12:33 AM
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