नमो अरहन्तं, नमो भगवन्तं
लय : बाबो अलबेलो
रचयिता : साध्वी श्री राजीमतीजी
नमो अरहन्तं, नमो भगवन्तं ।
पार लगाए नौका, नमो महामन्तं ।।
1. राग न द्वेष जिसमें, समता सुहाए,
एक ही घाट बकरी, शेर आए जाए ।
महिमा निराली प्रभु की, नमो धैर्यवन्तं ।।
2. कोई न भाये तुमको, दिल में बिठाऊं,
रात दिवस क्या, पल-पल ध्याऊं ।
अपने बराबर करलो, नमो सिद्धिवन्तं ।।
3. एक जनम क्या, लाखों सुधारे,
व्याधि, उपाधि, आधि, सबसे उबारे ।
तीर्थपति के प्रतिनिधि, नमो त्यागवन्तं ।।
4. महावीर वचनों के, ज्ञाता प्रवक्ता,
अनमोल रतनों के, दाता प्रदाता ।
शास्त्रों के रक्षक, शिक्षक, नमो ज्ञानवन्तं ।।
5. उज्जवल है काया जिनकी, पावन वाणी,
मन के विकार मिट गए, तप की निशाणी ।
समता शिखर पर बैठे, नमो सव्वसन्तं ।।
October 02,2022 / 11:51 AM
428 / 0
745 / 0
1140 / 0
284 / 0
550 / 0
203 / 0
269 / 0
470 / 0
6028 / 0
886 / 0
690 / 0
300 / 0
232 / 0
186 / 0
185 / 0
214 / 0
185 / 0
245 / 0
249 / 0
214 / 0
313 / 0
247 / 0
207 / 0
236 / 0
214 / 0
674 / 0
1672 / 0
264 / 0
1878 / 0
295 / 0
308 / 0
332 / 0
1007 / 0
997 / 0
375 / 0
1182 / 0
303 / 0
410 / 0
597 / 0
344 / 0
319 / 0
2160 / 0
458 / 0
874 / 0
7379 / 0
3168 / 0
776 / 0
1223 / 0
490 / 0
427 / 0
370 / 0
414 / 0
370 / 0
574 / 0
417 / 0
559 / 0
868 / 0
428 / 0
745 / 0
1140 / 0
284 / 0
550 / 0
203 / 0
269 / 0
470 / 0
6028 / 0
886 / 0
690 / 0
300 / 0
232 / 0
186 / 0
185 / 0
214 / 0
185 / 0
245 / 0
249 / 0
214 / 0
313 / 0
247 / 0
207 / 0
236 / 0
214 / 0
674 / 0
1672 / 0
264 / 0
1878 / 0
295 / 0
308 / 0
332 / 0
1007 / 0
997 / 0
375 / 0
1182 / 0
303 / 0
410 / 0
597 / 0
344 / 0
319 / 0
2160 / 0
458 / 0
874 / 0
7379 / 0
3168 / 0
776 / 0
1223 / 0
490 / 0
427 / 0
370 / 0
414 / 0
370 / 0
574 / 0
417 / 0
559 / 0
868 / 0