ओ तपस्या रो रंग
लय - ओ म्हारा गुरुदेव
रचयित्री - साध्वीश्री राजीमतीजी
ओ तपस्या रो रंग,
तप रो त्यौहार मनावोजी, नस - नस में जोश जगावोजी ।
ओ तपस्या से रंग ॥
जो तप री ज्योत जालावै, वो अजर - अमर बण ज्यावै ।
थे समता स्त्रोत बहावो जी, ओ तपस्या से रंग ||
जो लेवेे तप से शरणो, वह ज्यावे अमृत झरणो ।
निज घर में मौज उड़ावोजी, ओ तपस्या से रंग ॥
सुरपति आ शीश झुकावेे, नरपति निज भाग सरावै ।
माटी से मोल चुकावो जी. ओो तपस्या से रंग ॥
तपस्यां री आ जोड़ी, करमा री कारा तोड़ी ।
गण गौरव खूब बढ़ायो जी ओ तपस्या से रंग ॥
तप आत्म - शान्ति से पथ है, शिवपुर जावण से रखा है।
तपसी बण नाम कमावो जी ओ तपस्या से रंग ॥
December 30,2022 / 11:04 PM
428 / 0
744 / 0
1140 / 0
284 / 0
550 / 0
203 / 0
269 / 0
469 / 0
6027 / 0
885 / 0
689 / 0
300 / 0
231 / 0
186 / 0
185 / 0
213 / 0
185 / 0
245 / 0
249 / 0
213 / 0
313 / 0
246 / 0
207 / 0
236 / 0
213 / 0
674 / 0
1672 / 0
264 / 0
1878 / 0
294 / 0
308 / 0
331 / 0
1007 / 0
997 / 0
374 / 0
1181 / 0
302 / 0
409 / 0
596 / 0
344 / 0
318 / 0
2160 / 0
458 / 0
873 / 0
7378 / 0
3168 / 0
776 / 0
1223 / 0
489 / 0
426 / 0
369 / 0
414 / 0
370 / 0
574 / 0
417 / 0
558 / 0
867 / 0
428 / 0
744 / 0
1140 / 0
284 / 0
550 / 0
203 / 0
269 / 0
469 / 0
6027 / 0
885 / 0
689 / 0
300 / 0
231 / 0
186 / 0
185 / 0
213 / 0
185 / 0
245 / 0
249 / 0
213 / 0
313 / 0
246 / 0
207 / 0
236 / 0
213 / 0
674 / 0
1672 / 0
264 / 0
1878 / 0
294 / 0
308 / 0
331 / 0
1007 / 0
997 / 0
374 / 0
1181 / 0
302 / 0
409 / 0
596 / 0
344 / 0
318 / 0
2160 / 0
458 / 0
873 / 0
7378 / 0
3168 / 0
776 / 0
1223 / 0
489 / 0
426 / 0
369 / 0
414 / 0
370 / 0
574 / 0
417 / 0
558 / 0
867 / 0