ॐ जय त्रिशलानन्दन
लय : आरती
रचयिता : साध्वी राजीमतीजी
ॐ जय त्रिशलानन्दन ! स्वामी जय त्रिशलानन्दन !
करुणा दृष्टि निहारो, तोड़ो भव बंधन ।।
1. श्रद्धा विनय भक्ति से, करते हम वंदन l
तारो पार उतारो, हे ! भव-दुःख भंजन ।।
2. जिनमें सुद तेरस को, तुम क्षत्रियपुर में ।
छिम-छिम, छिम-छिम बाजी, झालर घर-घर में ।।
3. त्रिशला लाल दुलारे, ज्ञात वंश प्यारे ।
यौवन में संन्यासी, जय जग उजियारे ।।
4. विघ्न विनाशक स्वामी, भूत प्रेत हारी ।
संकट कष्ट कटे सब, तुम हो उपकारी ।।
5. 'चण्डनाग' का तुमने, बेड़ा पार किया ।
'अर्जुनमाली' जैसे, नर को तार दिया ।।
6. सत्य, अहिंसा, समता, तत्त्व दिया तुमने ।
शिव सुख वह पाएगा, धार लिया जिसने ।।
7. करें आरती तेरी, दिल दीपक द्वारा ।
मुख-मुख गूंज रहा है, वीर नाम प्यारा ।।
October 03,2022 / 12:52 AM
428 / 0
745 / 0
1140 / 0
284 / 0
550 / 0
203 / 0
269 / 0
470 / 0
6028 / 0
886 / 0
690 / 0
300 / 0
232 / 0
186 / 0
185 / 0
214 / 0
185 / 0
245 / 0
249 / 0
214 / 0
313 / 0
247 / 0
207 / 0
236 / 0
214 / 0
674 / 0
1672 / 0
264 / 0
1878 / 0
295 / 0
308 / 0
332 / 0
1007 / 0
997 / 0
375 / 0
1182 / 0
303 / 0
410 / 0
597 / 0
344 / 0
319 / 0
2160 / 0
458 / 0
874 / 0
7379 / 0
3168 / 0
776 / 0
1223 / 0
490 / 0
427 / 0
370 / 0
414 / 0
370 / 0
574 / 0
417 / 0
559 / 0
868 / 0
428 / 0
745 / 0
1140 / 0
284 / 0
550 / 0
203 / 0
269 / 0
470 / 0
6028 / 0
886 / 0
690 / 0
300 / 0
232 / 0
186 / 0
185 / 0
214 / 0
185 / 0
245 / 0
249 / 0
214 / 0
313 / 0
247 / 0
207 / 0
236 / 0
214 / 0
674 / 0
1672 / 0
264 / 0
1878 / 0
295 / 0
308 / 0
332 / 0
1007 / 0
997 / 0
375 / 0
1182 / 0
303 / 0
410 / 0
597 / 0
344 / 0
319 / 0
2160 / 0
458 / 0
874 / 0
7379 / 0
3168 / 0
776 / 0
1223 / 0
490 / 0
427 / 0
370 / 0
414 / 0
370 / 0
574 / 0
417 / 0
559 / 0
868 / 0