पांचू परमेष्ठी प्यारा
लय : मैं ढूंढ फिरी जग सारा
रचयिता : आचार्य श्री तुलसी
पांचूं परमेष्ठी प्यारा,
जीवन धन सब कुछ म्हारा, पांचूं परमेष्ठी प्यारा ।
है असहायां रा सहारा, पांचूं परमेष्ठी प्यारा ।।
1. सर्वोच्च अर्हता धारी, अरहंत अमल अविकारी ।
तीर्थकर त्रिभुवन तारी, प्रवही प्रवचन री धारा
2. है सिद्ध सिद्धपद-वासी, अज अजरामर अविनाशी ।
परमात्मा परम प्रकाशी, काटी करमां री कारा ।।
3. धरमाचारज धृतिधारी, निष्कारण पर-उपकारी ।
लाखां री नैथ्या तारी, भगवान कहूं भगतां रा ।।
4. है उपाध्याय अविकारी, गणिपिटका रा भंडारी ।
श्रुतदाता संकट-हारी, जिनशासन-गगन-सितारा ।।
5. मुनिवर जग-ममता त्यागी, समता री प्रतिमा सागी ।
है पाप-भीरू वैरागी, 'तुलसी' मनमोहनगारा ।।
October 01,2022 / 12:22 AM
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