पदम प्रभू नित समरियै
लय : कुशलपुरी में प्रभु जनमिया
रचयिता : श्री मज्जयाचार्य
पदम प्रभू नित समरियै
1. निर्लेप पदम जिसा प्रभू, प्रभु पदम पिछाण ।
संयम लीथो तिण समै, पाया चोथो नाण ।।
2. ध्यान शुकल प्रभु ध्याय नैं, पाया केवल सोय ।
दीनदयाल तणी दशा, कैणी नावै कोय ।।
3. सम दम उपराम रस भरी, प्रभु ! आपरी वाण ।
त्रिभुवन तिलक तूं ही सही, तूं ही जनक समान ।।
4. तूं प्रभु कल्पतरू जिसो, तूं चिन्तामणी जोय ।
समरण करतां आपरो, मन-वांछित होय ।।
5. सुखदायक सहु जग भणी, तूं ही दीनदयाल ।
शरण आयो तुझ साहिबा ! तूं ही परम कृपाल ।।
6. गुण गातां मन गह-गहै, सुख संपत्ति जाण ।
विघन मिटै समरण कियां, पामै परम कल्याण ।।
7. उगणीसै नैं भाद्रवै, सुदि बारस देख ।
पदम प्रभू रट्या लाडनूं, हुओ हरष विशेष ।।
October 01,2022 / 5:53 PM
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