प्रातः उठकर ध्यान धरूं
लय - तिरिया मिरिया
स्वयित्री - साध्वी फूलकुमारीजी, सुजानगढ़
प्रातः उठकर ध्यान धरुं मैं , विमल भावना भाऊँ हो,
चेतन चिन्मय दिवलो जोकर, अन्तर ज्योति पाऊं हो ।
मन मंदिर में प्रभु विराजै, खोज-खोज मैं हारी हो,
एक बार भीतर देखूं तो, पाऊं प्रभुता सारी हो l l
1. हर क्षण विणसै है आ काया, शाश्वत है आत्मा म्हारी ।
जागरूक जीवन जीणै स्यूं, मिट ज्यावै दुविधा सारी l l
2. ऋजुता रो मैं दर्पण लेकर, अपणो रूप निहारूं हो ।
समता रे झुले में झुलूं, कटुता भाव विसारूं हो l l
3. राग - द्वेष री ग्रंथि तोडूं, मैत्री भाव विकसाऊं हो ।
गुणि जन रा गुण गा गाकर, पावन मैं बण ज्याऊं हो l l
4. सुख-दुःख सारा है देहि में, क्यूं इण स्यूं घबराऊं हो ।
पाप भीख्ता पग - पग राखूं , शुद्ध बुद्ध वण ज्याऊं हो l l
5. वो दिन 'फूल' धन्य हुवैला, वीतरागता पाऊं हो ।
आनंद घन रो रस पी पीकर, अजर अमर पद पाऊं हो l l
October 27,2022 / 3:07 PM
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