प्रभु पार्श्वदेव चरणों में
लय : लो जैन जगत के
रचयिता : आचार्य श्री तुलसी
प्रभु पार्श्वदेव चरणों में, शत-शत प्रणाम हो ।
मेरे मानस के स्वामी ! तुम एक धाम हो ।।
1. दुनियां में देव लाखों, हैं पूजे जा रहे ।
जिनदेव ! इस रसना में, तेरा ही नाम हो ।।
2. तुमसे न राग रत्ती, क्यों द्वेष और से ?
यह वीतरागता तेरी, मेरा विश्राम हो ।।
3. उऋण बनूं मैं कैसे, उपकार से अहो !
चरणों में भले पन्हैया, यह मेरी चाम हो ।।
4. पा एक बार पारस, हतभाग्य जो रहा ।
पारस अब स्वयं बनूं मैं, बस वैसा काम हो ।।
5. नस-नस में बस रहे हो, रस ज्यों कवित्व में ।
भगवान ! भक्त 'तुलसी' के तुम ही राम हो ।।
October 01,2022 / 6:18 PM
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