समता के दीप जला गये जी
लय - ओ म्हांरा गुरुदेव
रचयिता - मुनि श्री वत्सराजजी
समता के दीप जला गये जी, तीर्थंकर महावीर ।
संयम के गीत सुना गये जी, तीर्थंकर महावीर ॥
1. सब अपने प्यारे भाई, मत खोदो पथ में खाई ।
मैत्री का मार्ग बना गये जी, तीर्थंकर महावीर ll
2. सब फूल एक ही वन के, सब दीप एक आंगन के l
सब में समदृष्टि जगा गये जी, तीर्थंकर महावीर ll
3. सब एक गगन के तारे, भू मां के लाल दुलारे ।
समरस की सृष्टि सजा गये जी, तीर्थंकर महावीर ll
4.सुख दुःख जीवन के साथी, मत बुझने दो मन बाती ।
साहस का सबक सिखा गये जी, तीर्थंकर महावीर ll
5. है ग्रंथ अनेक जगत में, है पंथ अनेक जगत में l
पर मंजिल एक बता गये जी, तीर्थंकर महावीर ll
6. कथनी - करनी समरस हो, बाहर भीतर मधुरस हो l
ऋजुता की राह दिखा गये जी, तीर्थंकर महावीर ll
7. खाने - पीने में समता, मरने जीने में समता l
आत्मा में लगन लगा गये जी, तीर्थंकर महावीर ll
October 27,2022 / 2:49 PM
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