सौभागी संघ हमारा
लय - जहां जय डाल डाल पर
सौभागी संघ हमारा
जहां श्रद्धा सेवा और समर्पण की बहती धारा ||
संघ हमारा पावन मंदिर, यही देव यही पूजा,
यही जिनालय, यही शिवालय, तीर्थ न कोई दूजा - २
इसके कण - कण में गुंजित है, जय भिक्षु का नारा ।
सौभागी संघ हमारा |
उन बलिदानी मुनि सतियों के, चरणों में सोे सोे वन्दन
जिनके त्याग तपोबल से, गण धूलि बनी है चन्दन - २
गणनन्दन वन जिन्हें लगा, अपने प्राणों से प्यारा ।
सौभागी संघ हमारा ॥
धर्म कान्ति की ईंटों से, यह संघ भवन निर्मित है,
इंट-ईट पर मर्यादा का, दिव्य मंत्र अंकित है - २
प्राणवान यह संघ बना है, अनुशासन द्वारा ।
सौभागी संघ हमारा ॥
संघ शीतघर लगता मनहर, ज्यों फूलों की घाटी,
मुस्कानों के झरनों से, सुजला सुफला यह माटी - २
रेखा चित्र भिक्षु का, जय ने, इसको खूब निखारा |
सोभागी संघ हमारा ॥
गण गणपति सम्बन्ध दिनों दिन होता जाए गहरा,
करें सुरक्षा निज पर शासन-फिर अनुशासन का पहरा - 2
उपवन के हर पौधे को महाप्रज्ञ का सबल सहारा |
सौभागी संघ हमारा ॥
December 09,2022 / 5:22 PM
428 / 0
744 / 0
1140 / 0
284 / 0
550 / 0
203 / 0
269 / 0
470 / 0
6027 / 0
885 / 0
689 / 0
300 / 0
231 / 0
186 / 0
185 / 0
214 / 0
185 / 0
245 / 0
249 / 0
213 / 0
313 / 0
246 / 0
207 / 0
236 / 0
213 / 0
674 / 0
1672 / 0
264 / 0
1878 / 0
295 / 0
308 / 0
332 / 0
1007 / 0
997 / 0
374 / 0
1181 / 0
303 / 0
409 / 0
597 / 0
344 / 0
318 / 0
2160 / 0
458 / 0
873 / 0
7379 / 0
3168 / 0
776 / 0
1223 / 0
489 / 0
426 / 0
369 / 0
414 / 0
370 / 0
574 / 0
417 / 0
558 / 0
868 / 0
428 / 0
744 / 0
1140 / 0
284 / 0
550 / 0
203 / 0
269 / 0
470 / 0
6027 / 0
885 / 0
689 / 0
300 / 0
231 / 0
186 / 0
185 / 0
214 / 0
185 / 0
245 / 0
249 / 0
213 / 0
313 / 0
246 / 0
207 / 0
236 / 0
213 / 0
674 / 0
1672 / 0
264 / 0
1878 / 0
295 / 0
308 / 0
332 / 0
1007 / 0
997 / 0
374 / 0
1181 / 0
303 / 0
409 / 0
597 / 0
344 / 0
318 / 0
2160 / 0
458 / 0
873 / 0
7379 / 0
3168 / 0
776 / 0
1223 / 0
489 / 0
426 / 0
369 / 0
414 / 0
370 / 0
574 / 0
417 / 0
558 / 0
868 / 0