December 09,2022 || 5:16 PM || 251 /

Shaasan Ro Anushasan Pyaaro Ji शासण रो  अनुशासन प्यारो जी (Jain Bhajan)

 

शासण रो  अनुशासन प्यारो जी

लय - सपना
रचयिता - मुनिश्री सुरेश

 

शासण रो  अनुशासन प्यारो जी, 
गौरवशाली गण आपां से जी, 
श्री भिक्षु री देण है, बांधी मर्यादा री पाल ॥

 

मर्यादा जीवन जड़ी, मर्यादा आधार । 
मर्यादा जीवन कड़ी मर्यादा सुखकार ॥

 

रवि शशि तारागण सदा, बहे मर्यादित चाल ।
मर्यादा में ही खिले, संघ समुद्र विशाल ॥

 

लोह लेखणी स्यूं लिख्यो, स्वामी जी एक पत्र । 
मर्यादा से पत्र चो, वणग्यो शासण से छत्र ॥

 

तप जप स्यू इण संघ री, नीवा में बलिदान । 
शुभ वेला सुभ लगन में, इपरे लिख्यो संविधान ॥

 

एकाचार विचार रो, खिल्यो अनोखो रंग । 
आपां सारा संघ य, हे आपां से संघ ॥

 

संत सत्यां गुणवान है, विनय विवेक बेजोड़ 
मर्यादवां नेे सदा, माने सिर मोड़ ॥

 

"मुनि सुरेश इण संघ पर, म्हानै घणो रे गुमान ।
तन मन इन पर वार दयूं पंड्या ससम्मान

 



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Munishree Suresh मुनिश्री सुरेश

December 09,2022 / 5:16 PM


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