शासण रो अनुशासन प्यारो जी
लय - सपना
रचयिता - मुनिश्री सुरेश
शासण रो अनुशासन प्यारो जी,
गौरवशाली गण आपां से जी,
श्री भिक्षु री देण है, बांधी मर्यादा री पाल ॥
मर्यादा जीवन जड़ी, मर्यादा आधार ।
मर्यादा जीवन कड़ी मर्यादा सुखकार ॥
रवि शशि तारागण सदा, बहे मर्यादित चाल ।
मर्यादा में ही खिले, संघ समुद्र विशाल ॥
लोह लेखणी स्यूं लिख्यो, स्वामी जी एक पत्र ।
मर्यादा से पत्र चो, वणग्यो शासण से छत्र ॥
तप जप स्यू इण संघ री, नीवा में बलिदान ।
शुभ वेला सुभ लगन में, इपरे लिख्यो संविधान ॥
एकाचार विचार रो, खिल्यो अनोखो रंग ।
आपां सारा संघ य, हे आपां से संघ ॥
संत सत्यां गुणवान है, विनय विवेक बेजोड़
मर्यादवां नेे सदा, माने सिर मोड़ ॥
"मुनि सुरेश इण संघ पर, म्हानै घणो रे गुमान ।
तन मन इन पर वार दयूं पंड्या ससम्मान
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