तप का है तेज निराला
लय - पना के दीप जलेगें
रचयित्री - साध्वीची यशोधराजी
तप का है तेज निराला, त्रिभुवन में भरे उजाला |
प्रीत सुरंगी तप से जोड़लो, हो बहनों ।
कर्म कटक से लोहा लेने, चिरले ही तप करते हैं,
शांत सुधा स्वाध्याय शुभंकर, जाप प्रभु का जपते हैं।
दीपक से दीपक जलता, तप का गुलशन है खिलता |
इन्द्रिय विजय लक्ष्य है गहरा, साथ रहे निज काया को,
बंधन ढीले पड़ जाते, जब छोड़ें ममता माया को ।
मन पर जिसकी असवारी, आत्मोदय का अधिकारी
भिक्षु तपोवन में तपस्या से खिल रही केशर क्यारी है,
तरुण तपस्वी आचार्यों से विकसित गण फुफुलवारी है ।
तप से गण नीवें गहरी, तपसी है गण के प्रहरी
भाई बहिनों ने तपस्या से, प्रीत अनूठी जोड़ी है,
त्याग तपोबल से धारा को नयी दिशा में मोड़ी है।
'यशोधरा' लो आज बधाई, तपस्या से रौनक आई
December 30,2022 / 11:29 PM
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