तपस्या कर लो रे
लय - फागण आयो रे
रचयिता मुनिश्री कन्हैयालालजी
तपस्या कर लो रे - २, भव भव पातक हरल्यो रे - 2 ॥
काल अनंतो बीत्यो भटकत, भव सागर ने तरख्यो रे
कर्मा र अब वृंद खपाकर, शिवपुर वरल्यो रे
आत्मिक बल स्यूं तपस्या होते, कमजारी ने हरल्यो रे
मन मजबूती रात शांति रो, पंथ पकड़ल्यो रे ॥
घोर तपस्वी सुख मुनिवर से, ध्यान निरंतर धरल्यो रे
भूराजी अणचाजी सति ने पल पल स्मरल्यो रे ||
तपस्या रूपी शुभ संपति स्यूं, आत्म खजानो भरल्यो रे
अन्तर मन रो रोग मिटावण, औषद लेल्यो रे ||
स्वामीजी से शासन साचो, पुण्याई स्यूं पायो रे
'मुनि कन्हैया' महाप्रज्ञ माली, गण विकसायो रे ॥
December 28,2022 / 11:03 PM
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