तपस्या निराली रे
लय - सावन आयो रे
रचयित्री - साध्वीश्री राजीमतीजी
तपस्या निराली रे, देखो चमके है तपसी से दीदार,
खुल ज्यावे सुरंगा रा भी द्वार,
मिट ज्यावे जनमां स विकार |
संयम री शक्ति, तपस्या निराली रे ॥
करड़ो काम तपस्या से विरला ही कोई कर पावेे,
नाम सुण्यां ही जीवड़ो कांपे, धड़कन भी तो बढ़ ज्यावै ।
दीखेे हैं दिन में तारा, आंख्यां में अंधियार,
संयम री शक्ति, तपस्या निराली रे ||
धीरे - धीरे चाले तपसी, धीरे - धीरे बोले है,
अपनी धुन में बैठ्यो - बैठ्यो, भीतर गांठां खोेले है ।
समता रा दीप जलावे, समता ही सुखकार,
संयम री शक्ति, तपस्या निराली रे ॥
धर्म - ध्यान से मेळो लाग्यो, होडा - होड लगाई है,
गली - गली में तप री चर्चा शासन माता आई है।
भिक्षु रो शासण प्यारो, महाप्रज्ञ रो आधार,
संयम री शक्ति, तपस्या निराली रे ॥
December 28,2022 / 11:19 PM
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