वीर प्रभु का ध्यान
लय : धर्म की लौ जलाएं हम
रचयिता : साध्वी राजीमतीजी
करें हम वीर प्रभु का ध्यान ।
करुणानिधि ! करुणाकरा ! तारो, कर दो अब कल्याण ।।
1. अन्त किया आठों कर्मों का, केवल दीप जलाया,
अतिशय धारी, पर उपकारी, सोया शौर्य जगाया ।
अजर अमर अविनाशी तुमने, प्राप्त किया निर्वाण ।।
2. चौरासी में घूम रहे हम, कोई नहीं सहारा,
क्रोध मान की कुटिल चाल से, सारा जग यह हारा ।
पार लगाओ, द्वार दिखाओ, हे प्यारे भगवान | |
3. मैली चादर देख भक्त की, आते मत सकुचाना,
मैंने शरण तुम्हारी ले ली, तुमको सब कुछ माना ।
सोया मन जग जाए अब तो, दो ऐसा वरदान ।।
4. जीवन आदर्श अहिंसा, मैत्रीमय बन जाऊं,
दुश्मन-दोस्त सभी पर मैं तो, करुणा धार बहाऊं ।
दीप ज्योति का भेद रहे ना, तूं मैं एक समान ।।
October 03,2022 / 1:15 AM
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